बच्चों ने जाना जैव विविधता संरक्षण का महत्व
रायपुर । जैवविविधता से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में पाए जाने वाले जीव-जंतु एवं पौध, वनस्पति की प्रजातियों की पहचान करना, उनके औषधीय उपयोग एवं आर्थिक महत्व को जानने के उद्देश्य से पैराटैक्सोनामी एवं जैवविविधता संरक्षण के लिए आयोजित 30 दिवसीय कोर्स का समापन गत दिवस 17 अगस्त को हुआ। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव […]
रायपुर । जैवविविधता से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में पाए जाने वाले जीव-जंतु एवं पौध, वनस्पति की प्रजातियों की पहचान करना, उनके औषधीय उपयोग एवं आर्थिक महत्व को जानने के उद्देश्य से पैराटैक्सोनामी एवं जैवविविधता संरक्षण के लिए आयोजित 30 दिवसीय कोर्स का समापन गत दिवस 17 अगस्त को हुआ। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मंशानुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के दिशा निर्देशन में छत्तीसगढ राज्य जैवविविधता बोर्ड एवं राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) कोलकाता के सहयोग से संपन्न कराया गया।

प्रशिक्षण में छात्र-छात्राओं के द्वारा पौधों की पहचान करना, उनकी औषधीय उपयोगिता को जानना, हरबेरियम तैयार करने के तरीके तथा संरक्षण के तौर तरीकों से अवगत हुए। इस प्रशिक्षण से छात्र/छात्राओं के पौध प्रजातियों के देखने के नजरिए में परिवर्तन हुआ तथा वे इनके संरक्षण की दिशा में कार्य करने को तत्पर हुए हैं। इन युवाओं के द्वारा अपने ग्राम पंचायत एवं आस-पास के ग्राम पंचायतों में इस जानकारी एवं ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने की सहमति व इच्छा जाहिर की गई। बी.एस.आई. से आए प्रशिक्षणार्थियों के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 1500 औषधीय पौधों की जानकारी प्राप्त की गई।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही.श्रीनिवास राव, वैज्ञानिक, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया डॉ. एस.एस. दास उपस्थित थे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राव ने कहा कि वन विभाग एवं छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा पहली बार इस कोर्स का आयोजन किया गया है तथा पौधों की उपयोगिता एवं आर्थिक महत्व को जानने से ही इन पौधों के महत्व का पता चलता है। इस पैराटैक्सोनामी कोर्स के प्रशिक्षण उपरांत छात्र/छात्राओं को इसे पर्यटन (होमस्टे, नेचर ट्रेल, जंगल गाईड) से जोड़ने तथा इन युवाओं का उपयोग बी.एम.सी. ट्रेनिंग, पी.बी.आर. के अपग्रेडेशन कार्य में उपयोग किए जाने का सुझाव भी दिया गया। श्री राव द्वारा प्रशिक्षण उपरांत 4-5 ग्रामों के बीच एक प्रशिक्षित युवा को रखकर विभागीय कार्यों के साथ समन्वय किये जाने का भी सुझाव दिया गया। साथ ही भविष्य में पुनः इस पैराटैक्सोनामी कोर्स का आयोजन बस्तर वृत्त एवं सरगुजा वृत्त के छात्र/छात्राओं को प्रदान किए जाने हेतु योजना तैयार करने के निर्देश छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड को दिए।
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी के कुशल मार्गदर्शन में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
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